फुट बाइंडिंग – ज्ञात शरीर संशोधन का विशिष्ट रूप पैर बंधन। यह प्रथा चीन में लगभग १०वीं शताब्दी से सांग राजवंश के दौरान शरू हुआ और यह एक हजार से अधिक वर्षों तक जारी रहा।
१९१२ में इस प्रथा को अवैध बना दिया गया। युवा लड़किया अपने पैरों को बैंडेज से बांधती थी ताकि उनके पैर छोटे हो जाए। छोटे पैर सुंदरता और उच्च वर्ग की सदस्यता के निशानी थे।
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लोगों मे यह मूल रूप से एक के साथ शुरू हुआ। नर्तकी जो सम्राट के लिए प्रदर्शन करती थी उसने अपने पैरों को बांध लिया था। उसने अपने पैरों को प्रदर्शन करने के लिए आधा चाँद के आकार का बना लिया था। वह विशाल कमल के फूल पर विशिष्ट नृत्य करती थी। सम्राट को यह महिला बहुत ही सूंदर लगी।
चीन में अन्य महिलाएं उनकी बेटियों को नर्तकी की तरह सुंदर बनाने के लिए उसके पैरों को बांधने का शुरआत किया।
चीन में फुट बाइंडिंग
यह प्रथा उन युवतियों पर शुरू हुई जो पाँच और सात साल की उम्र के बीच थी। युवा होने पर उन्हें तैयार करने के लिए कई साल पहले से ही उनके माता-पिता या दादा-दादी उनके पैरों को एक जड़ी बूटी के मिश्रण में भिगोना शुरू कर देते थे। जब लड़कियां तैयार होती थी, कि वे अपना पैर बंधवाए तो फ़िर वे चार छोटी उँगलियाँ लेंकर, पैर की उंगलियां का नेतृत्व अकेली बड़ी पैर की उंगलि करती थीं।
उन्हें पैर के नीचे से लपेटकर पट्टी को वे पूरी ले लेते, पैर की ओर इसे एक मेहराब आकर मे मोड़ देते। यह बेहद दर्दनाक प्रक्रिया थी और जवान लड़कीयों को चलने में बहुत मुश्किल होती थी।
हर हफ्ते पैर को खोल दिया जाता था, धोया और फिर से और भी सख्ती के साथ लपेटा दिया जाता था। कुछ वर्षों मे पैर सुन्न हो जाता था। समय और दबाव से पैर कमल के आकर सा बन जाएगा, संभव: तीन इंच के करीब।
१९१२ में इस प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, लेकिन यह परंपरा कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जारी हैं। १९४० के दशक के अंत तक चीन में कुछ बुजुर्ग महिलाएं थी जीनके पैर बंधे थे लेकिन जल्द ही यह सचमुच अतीत की बात हो जाएगी।
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